--१......ले पार गया पर अब हारा चेतक गिर पड़ा लिए राणा
थे अश्रु भरे नयनों में जब देखा चेतक प्यारा राणा |
थे अश्रु भरे नयनों में जब देखा चेतक प्यारा राणा |
अश्रु लिए आँखों में सिर रख दिया अश्व गोदी राणा
स्वामी रोते मेरे चेतक! चेतक कहता मेरे राणा! |
स्वामी रोते मेरे चेतक! चेतक कहता मेरे राणा! |
हो गया विदा स्वामी से अब इकला छोड़ गया राणा
परताप कहे बिन चेतक अब राणा है नहीं रहा राणा |
परताप कहे बिन चेतक अब राणा है नहीं रहा राणा |
सुन चेतक मेरे साथी सुन जब तक ये नाम रहे राणा
मेरा परिचय अब तू होगा कि वो है चेतक का राणा |
मेरा परिचय अब तू होगा कि वो है चेतक का राणा |
--२...अब वन में भटकता राजा है पत्थर पे सोता है राणा
दो टिक्कड़ सूखे खिला रहा बच्चों को पत्नी को राणा
थे अकलमंद आते कहते अकबर से संधि करो राणा
है यही तरीका नहीं तो फिर वन वन भटको भूखे राणा
है यही तरीका नहीं तो फिर वन वन भटको भूखे राणा
हर बार यही उत्तर होता झाला का ऋण ऊपर राणा
प्राणों से प्यारे चेतक का अपमान करे कैसे राणा
प्राणों से प्यारे चेतक का अपमान करे कैसे राणा
एक दिन बच्चे की रोटी पर झपटा बिलाव देखा राणा
हृदय पर ज्यों बिजली टूटी अंदर से टूट गया राणा.
हृदय पर ज्यों बिजली टूटी अंदर से टूट गया राणा.
ले कागज़ लिख बैठा, अकबर! संधि स्वीकार करे राणा
भेजा है दूत अकबर के द्वार ज्यों पिंजरे में नाहर राणा.
भेजा है दूत अकबर के द्वार ज्यों पिंजरे में नाहर राणा.
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