सोमवार, 22 मई 2017

मेवाड़ के वास्तविक संस्थापक ------- बप्पा रावल

 
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जन्म - 713-14 ई.
* बप्पा रावल को "कालभोज" के नाम से भी जाना जाता है

* इनके समय चित्तौड़ पर मौर्य शासक मान मोरी का राज था

734 ई. में बप्पा रावल ने 20 वर्ष की आयु में मान मोरी को पराजित कर चित्तौड़ दुर्ग पर अधिकार किया

* वैसे तो गुहिलादित्य/गुहिल को गुहिल वंश का संस्थापक कहते हैं, पर गुहिल वंश का वास्तविक संस्थापक बप्पा रावल को माना जाता है

* बप्पा रावल को हारीत ऋषि के द्वारा महादेव जी के दर्शन होने की बात मशहूर है

* एकलिंग जी का मन्दिर - उदयपुर के उत्तर में कैलाशपुरी में स्थित इस मन्दिर का निर्माण 734 ई. में बप्पा रावल ने करवाया | इसके निकट हारीत ऋषि का आश्रम है |

* आदी वराह मन्दिर - यह मन्दिर बप्पा रावल ने एकलिंग जी के मन्दिर के पीछे बनवाया

  @ 735 ई. में हज्जात ने राजपूताने पर अपनी फौज भेजी | बप्पा रावल ने हज्जात की फौज को हज्जात के मुल्क तक खदेड़ दिया |

@ बप्पा रावल की तकरीबन 100 पत्नियाँ थीं, जिनमें से 35 मुस्लिम शासकों की बेटियाँ थीं, जिन्हें इन शासकों ने बप्पा रावल के भय से उन्हें ब्याह दीं |

  @ 738 ई. - अरब आक्रमणकारियों से युद्ध

ये युद्ध वर्तमान राजस्थान की सीमा के भीतर हुआ

बप्पा रावल, प्रतिहार शासक नागभट्ट प्रथम व चालुक्य शासक विक्रमादित्य द्वितीय की सम्मिलित सेना ने अल हकम बिन अलावा, तामीम बिन जैद अल उतबी व जुनैद बिन अब्दुलरहमान अल मुरी की सम्मिलित सेना को पराजित किया

  @बप्पा रावल ने सिंधु के मुहम्मद बिन कासिम को पराजित किया

  @बप्पा रावल ने गज़नी के शासक सलीम को पराजित किया

  @इन्होंने अपनी राजधानी नागदा रखी

  @ कविराज श्यामलदास के शिष्य गौरीशंकर हीराचंद ओझा ने अजमेर के सोने के सिक्के को बापा रावल का माना है। इसका तोल 115 ग्रेन (65 रत्ती) है। इस सिक्के में सामने की ओर ऊपर के हिस्से में माला के नीचे श्री बोप्प लेख है। बाईं ओर त्रिशूल है और उसकी दाहिनी तरफ वेदी पर शिवलिंग बना है। इसके दाहिनी ओर नंदी शिवलिंग की ओर मुख किए बैठा है। शिवलिंग और नंदी के नीचे दंडवत् करते हुए एक पुरुष की आकृति है। पीछे की तरफ चमर, सूर्य और छत्र के चिह्न हैं। इन सबके नीचे दाहिनी ओर मुख किए एक गौ खड़ी है और उसी के पास दूध पीता हुआ बछड़ा है। ये सब चिह्न बपा रावल की शिवभक्ति और उनके जीवन की कुछ घटनाओं से संबद्ध हैं।

  # 753 ई. में बप्पा रावल ने 39 वर्ष की आयु में सन्यास लिया

इनका समाधि स्थान एकलिंगपुरी से उत्तर में एक मील दूर स्थित है

इस तरह इन्होंने कुल 19 वर्षों तक शासन किया

* शिलालेखों में वर्णन -
  1 कुम्भलगढ़ प्रशस्ति में बप्पा रावल को विप्रवंशीय बताया गया है
  2आबू के शिलालेख में बप्पा रावल का वर्णन मिलता है
3 कीर्ति स्तम्भ शिलालेख में भी बप्पा रावल का वर्णन मिलता है
4रणकपुर प्रशस्ति में बप्पा रावल व कालभोज को अलग-अलग व्यक्ति बताया गया है | हालांकि आज के इतिहासकार इस बात को नहीं मानते |
  5..कर्नल जेम्स टॉड को 8वीं सदी का शिलालेख मिला, जिसमें मानमोरी (जिसे बप्पा रावल ने पराजित किया) का वर्णन मिलता है | कर्नल जेम्स टॉड ने इस शिलालेख को समुद्र में फेंक दिया |
------------बप्पा रावल का देहान्त नागदा में हुआ, जहाँ इनकी समाधि स्थित है


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